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कहानी एक राधास्वामी प्रेमी भगत की
✴️राधा स्वामी प्रेमी की रियल स्टोरी ✴️
एंकर- नमस्कार सर
वक्ता- नमस्कार जी
एंकर- सर क्या नाम है आपका
वक्ता- जी राजेश दास
एंकर- राजेश जी आप कहां से आए हैं
वक्ता- मंगोलपुरी, दिल्ली से
एंकर- सर संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा आपने कब ली
वक्ता- 25 जून 2013 में ली थी
एंकर- सर संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने से पहले क्या आप कोई भक्ति साधना भी करते थे
वक्ता- जी भगत जी। लगभग 35 साल से राधास्वामी पंथ से में जुड़ा हुआ था। राधास्वामी पंथ की भक्ति करते थे। उनके नाम लेकर जो उन्होंने नाम दीक्षा दे रखी थी 5 नाम की, वही भक्ति नाम जाप कर रहे थे।
एंकर- सर आपने बताया कि आप 35 साल से राधास्वामी पंथ में जुड़े हुए थे। तो 35 साल तक भक्ति साधना करने के बाद भी आप संत रामपाल जी महाराज की शरण में क्यों आए।
वक्ता- सर ऐसा है कि हमारे दादाजी हैं एक, हमारे पिताजी के मामा जी। तो उन्होंने एक दिन हम को बताया कि ऐसे ऐसे संत रामपाल जी महाराज का सत्संग आता है, उसको देखो। सत्संग चालू कर दिया गुरुजी का। तो हमने देखा कि संत रामपाल जी महाराज राधा स्वामी के बारे में दिखा रहे थे। हमें तो ऐसा लग रहा था जैसे बिल्कुल गलत बोल रहे हो, ऐसा लगता था कि टीवी को तोड़ दे। हम आ गए वहां से छोड़ कर। तो फिर एक बार उन्होंने फिर बुलाया, वह बोले मैं मर जाऊंगा तब आओगे क्या। एक बार आ जाओ। फिर तो हम वापसी दोबारा एक बार फिर गए। संत रामपाल जी महाराज कि सत्संग की सीडीयां और रखी थी "परिभाषा प्रभु की"। वह अपने साथ में हम लेकर आए थे दिल्ली। हम उसको सुबह के समय "परिभाषा प्रभु की" वह भी चलाते थे। तो देखते देखते धीरे-धीरे कोई राधास्वामी पंथ का जब कोई जिक्र आता था तो हम उसको किताबों में छानते। देखते तो पता लगता था कि वाकई जो भक्ति हम कर रहे थे वह भक्ति साधना बिल्कुल गलत थी हमारी। संत रामपाल जी महाराज ने एकदम निष्कर्ष निकालकर वेदों के आधार पर जो हमको ज्ञान बताया था वही हम देखते देखते देखा, तो हमने सोचा चलो हम एक बार देखकर आएंगे तो 25 जून 2013 को हम बरवाला आश्रम पहुंचे। वहां देखा सब का व्यवहार, वहाँ सब का बहुत अच्छा व्यवहार था। तो देखा तो कि नामदान की व्यवस्था है, तो हमने सोचा नाम दीक्षा ले लेते हैं नाम दीक्षा लेने में क्या दिक्कत है। बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से हमने नाम दीक्षा ली
एंकर- सर आपने बताया कि आप 35 साल से राधास्वामी पंथ में जुड़े हुए थे। वहां आप बहुत सी बातें जानते थे फिर आप संत रामपाल जी महाराज की शरण में आए। तो राधास्वामी पंथ में और संत रामपाल जी महाराज के भक्ति साधना और पंथ में आपको क्या भिन्नता नजर आई।
वक्ता- राधास्वामी पंथ में वहाँ सिर्फ दिखावा ही है जी। वहां नाम दीक्षा देते हैं ना, वह हमें यहां आकर पता लगा, की वो तो काल के नाम है। और नाम भक्ति बिल्कुल भी ठीक नहीं है। और वह दुर्गा के आडंबर में जो लगे हुए हैं सारे। बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज ने ही हमको बताया हमको सद्भक्ति के लिए उन्होंने बताया कि यहां से हमें मोक्ष पाना है, तो सतभक्ति करके सतनाम की भक्ति करके ही मोक्ष पा सकते हैं। और अपने घर सतलोक जा सकते हैं।
एंकर- सर संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद क्या आपको कोई लाभ भी प्राप्त हुए
वक्ता- जी सर लाभ हमें यह प्राप्त हुए कि मुझे बीपी की प्रॉब्लम रहती थी। और इस हाथ में भी कष्ट था मेरे। यह हाथ ऊपर नहीं जाता था। पैरों में जैसे बैठ कर खड़ा हो जाता था तो एडी में काफी देर तक दर्द रहता था, नहीं चल पाते थे हम। सतगुरु रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद हमें पता ही नहीं लगा कि वह दर्द हमारा सारा गया कहां। मालिक की दया से 5 साल से ज्यादा ही हो गए हैं अभी तो ठीक है। हमारा फैमिली डॉक्टर था महीने में कम से कम चार से पांच बार हम उसके पास जाया करते थे। आज भगवान की दया से वो डॉक्टर का चेहरा अभी हमने नहीं देखा। यह हमारे ऊपर मालिक की दया है। और हमारे पिताजी को हार्ट की प्रॉब्लम थी सन 2000 से। डॉक्टरों ने बोल दिया था कि इनको आजीवन दवाइयां खानी पड़ेगी, तब यह जीवित रहेंगे। तो उसके बाद काफी दिन तक उनका इलाज भी चला। दो तीन बार अटैक भी पडे। उसके बाद हम संत रामपाल जी महाराज की शरण में आ गए थे। शरण में आने के बाद 2014 के अंदर उनको एक पैरालाइसिस अटैक पड़ा था बैठे-बैठे अचानक। पैरालाइसिस अटैक पड़ते ही हमारा फैमिली डॉक्टर था, मैंने उसको कॉल किया कि मैं उसको बता सकूं। तो उसने कोई फोन नहीं उठाया। मुझे अचानक ध्यान आया कि मैं संत रामपाल जी महाराज को फोन करूं। आशा में था कि वहां से मुझे कुछ लाभ मिले। मैंने फोन किया तो उसके बाद मालिक ने आदेश दिया कि परमात्मा दया करेंगे, और कहा कि चरना अमृत और प्रसाद उनको दे दीजिए और नाम जाप करते रहे अपना। मैंने फोन काटा ही था कि एकदम पिता जी बोले कि मुझे पेशाब करना है। धीरे-धीरे वह खड़े हुए और खड़े होकर पेशाब करने के लिए चले गए। और बाद में कहे कि मुझे छोड़ दो। वह बिल्कुल मुर्दा पड़े हुए थे पहले, मुर्दा स्थिति में। मतलब ऐसी हालत हो गई थी उनकी कि बिल्कुल मुर्दा। संत रामपाल जी महाराज भगवान की ऐसी दया हुई कि जब संत रामपाल जी महाराज ने ऐसे बोला कि परमात्मा दया करेंगे। तो मालिक की दया से वह 10 मिनट के अंदर वह अपने आप पैरों पर चलने लगे। और अगले दिन सुबह हम सीधा बरवाला आश्रम पहुंचे। बरवाला आश्रम पहुंचने के बाद संत रामपाल जी महाराज दर्शन के लिए आते हैं तो संत रामपाल जी महाराज जी से हमने कहा बंदी छोड़ आपने रात को बड़ी दया करी हमारे ऊपर तो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी बोले कि बेटा भक्ति कर कुछ नहीं होगा तुझे, तुझे मालिक ने जीवन दिया है। मालिक की दया हुई है हमारे ऊपर बहुत। और पूरा परिवार आज मालिक के चरण में है। पिछले 2017 के आसपास लगभग मेरी मम्मी को इतनी प्रॉब्लम हो गई थी कि डॉक्टरों ने उनको जवाब दे दिया था कि यह नहीं बच पाएंगे। अब मैंने काफी दूर दूर तक उनको दिखाया। इलाज के लिए काफी दूर लेकर गए, कोई कहता कुछ होगा कोई कहता ब्लड चढेगा। सबने अपना अलग-अलग हिसाब बता रखा था। लेकिन बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की दया से आज वह बिल्कुल ठीक है। बिल्कुल ठीक स्थिति में बैठे हैं एकदम। और मालिक की भक्ति कर रहे हैं। यही हमारे ऊपर सबसे बड़ी दया मालिक की यही है कि बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने अपनी शरण में ले रखा है हमें। यह सबसे बड़ा लाभ हमको यही हुआ।
एंकर- सर संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के बाद आपको बहुत सारे लाभ प्राप्त हुए। तो जो श्रद्धालु आज आपको देख रहे हैं खास करके राधा स्वामी वाले उनके लिए आप क्या कहना चाहेंगे
वक्ता- सर उनके लिए हम यही कहना चाहेंगे। आप जा रहे हैं सत्संग में, आप सत्संग के बारे में वहां बिल्कुल भी कुछ नहीं जानते। सत्संग क्या चीज है, वह अगर सुनना है तो संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनिए तो आपको पता चलेगा। आज तक हम सत्संग में जाते थे लेकिन हमको यह नहीं पता था कि सत्संग में किस लिए जाया जाता है। हमें परमात्मा को पाना है। परमात्मा के बारे में आज तक किसी ने नहीं बताया हमको। कहते कि ऊपर में है, कौन है,सब एक की महिमा गा रहे हैं। लेकिन आज तक कोई हमको बताने वाला नहीं मिला। संत रामपाल जी महाराज जी ने हमारे सभी प्रमाण शास्त्रों के साथ आपको बताया कि हमारा परमात्मा बंदी छोड़ कबीर साहिब जी हैं, कबीर परमात्मा।
एंकर- सर संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा कैसे ली जा सकती है।
वक्ता- बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के लिए साधना चैनल पर सत्संग शाम को 7:30 से 8:30 बजे तक आता हैं। उस पर नीचे पट्टी आती है उस पर नंबर आते हैं उन नंबरों पर आप कॉल कर कर, नजदीकी नाम दान का पता कर सकते हैं और वहां जाकर नाम दीक्षा ले सकते हैं।
एंकर- धन्यवाद सर
वक्ता- नमस्कार सर
https://youtu.be/Bf4pYYwKe5A
real story Radhsoami bhagat |
एंकर- नमस्कार सर
वक्ता- नमस्कार जी
एंकर- सर क्या नाम है आपका
वक्ता- जी राजेश दास
एंकर- राजेश जी आप कहां से आए हैं
वक्ता- मंगोलपुरी, दिल्ली से
एंकर- सर संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा आपने कब ली
वक्ता- 25 जून 2013 में ली थी
एंकर- सर संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने से पहले क्या आप कोई भक्ति साधना भी करते थे
वक्ता- जी भगत जी। लगभग 35 साल से राधास्वामी पंथ से में जुड़ा हुआ था। राधास्वामी पंथ की भक्ति करते थे। उनके नाम लेकर जो उन्होंने नाम दीक्षा दे रखी थी 5 नाम की, वही भक्ति नाम जाप कर रहे थे।
एंकर- सर आपने बताया कि आप 35 साल से राधास्वामी पंथ में जुड़े हुए थे। तो 35 साल तक भक्ति साधना करने के बाद भी आप संत रामपाल जी महाराज की शरण में क्यों आए।
वक्ता- सर ऐसा है कि हमारे दादाजी हैं एक, हमारे पिताजी के मामा जी। तो उन्होंने एक दिन हम को बताया कि ऐसे ऐसे संत रामपाल जी महाराज का सत्संग आता है, उसको देखो। सत्संग चालू कर दिया गुरुजी का। तो हमने देखा कि संत रामपाल जी महाराज राधा स्वामी के बारे में दिखा रहे थे। हमें तो ऐसा लग रहा था जैसे बिल्कुल गलत बोल रहे हो, ऐसा लगता था कि टीवी को तोड़ दे। हम आ गए वहां से छोड़ कर। तो फिर एक बार उन्होंने फिर बुलाया, वह बोले मैं मर जाऊंगा तब आओगे क्या। एक बार आ जाओ। फिर तो हम वापसी दोबारा एक बार फिर गए। संत रामपाल जी महाराज कि सत्संग की सीडीयां और रखी थी "परिभाषा प्रभु की"। वह अपने साथ में हम लेकर आए थे दिल्ली। हम उसको सुबह के समय "परिभाषा प्रभु की" वह भी चलाते थे। तो देखते देखते धीरे-धीरे कोई राधास्वामी पंथ का जब कोई जिक्र आता था तो हम उसको किताबों में छानते। देखते तो पता लगता था कि वाकई जो भक्ति हम कर रहे थे वह भक्ति साधना बिल्कुल गलत थी हमारी। संत रामपाल जी महाराज ने एकदम निष्कर्ष निकालकर वेदों के आधार पर जो हमको ज्ञान बताया था वही हम देखते देखते देखा, तो हमने सोचा चलो हम एक बार देखकर आएंगे तो 25 जून 2013 को हम बरवाला आश्रम पहुंचे। वहां देखा सब का व्यवहार, वहाँ सब का बहुत अच्छा व्यवहार था। तो देखा तो कि नामदान की व्यवस्था है, तो हमने सोचा नाम दीक्षा ले लेते हैं नाम दीक्षा लेने में क्या दिक्कत है। बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से हमने नाम दीक्षा ली
sat bhagati ke labh |
एंकर- सर आपने बताया कि आप 35 साल से राधास्वामी पंथ में जुड़े हुए थे। वहां आप बहुत सी बातें जानते थे फिर आप संत रामपाल जी महाराज की शरण में आए। तो राधास्वामी पंथ में और संत रामपाल जी महाराज के भक्ति साधना और पंथ में आपको क्या भिन्नता नजर आई।
वक्ता- राधास्वामी पंथ में वहाँ सिर्फ दिखावा ही है जी। वहां नाम दीक्षा देते हैं ना, वह हमें यहां आकर पता लगा, की वो तो काल के नाम है। और नाम भक्ति बिल्कुल भी ठीक नहीं है। और वह दुर्गा के आडंबर में जो लगे हुए हैं सारे। बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज ने ही हमको बताया हमको सद्भक्ति के लिए उन्होंने बताया कि यहां से हमें मोक्ष पाना है, तो सतभक्ति करके सतनाम की भक्ति करके ही मोक्ष पा सकते हैं। और अपने घर सतलोक जा सकते हैं।
एंकर- सर संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद क्या आपको कोई लाभ भी प्राप्त हुए
वक्ता- जी सर लाभ हमें यह प्राप्त हुए कि मुझे बीपी की प्रॉब्लम रहती थी। और इस हाथ में भी कष्ट था मेरे। यह हाथ ऊपर नहीं जाता था। पैरों में जैसे बैठ कर खड़ा हो जाता था तो एडी में काफी देर तक दर्द रहता था, नहीं चल पाते थे हम। सतगुरु रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद हमें पता ही नहीं लगा कि वह दर्द हमारा सारा गया कहां। मालिक की दया से 5 साल से ज्यादा ही हो गए हैं अभी तो ठीक है। हमारा फैमिली डॉक्टर था महीने में कम से कम चार से पांच बार हम उसके पास जाया करते थे। आज भगवान की दया से वो डॉक्टर का चेहरा अभी हमने नहीं देखा। यह हमारे ऊपर मालिक की दया है। और हमारे पिताजी को हार्ट की प्रॉब्लम थी सन 2000 से। डॉक्टरों ने बोल दिया था कि इनको आजीवन दवाइयां खानी पड़ेगी, तब यह जीवित रहेंगे। तो उसके बाद काफी दिन तक उनका इलाज भी चला। दो तीन बार अटैक भी पडे। उसके बाद हम संत रामपाल जी महाराज की शरण में आ गए थे। शरण में आने के बाद 2014 के अंदर उनको एक पैरालाइसिस अटैक पड़ा था बैठे-बैठे अचानक। पैरालाइसिस अटैक पड़ते ही हमारा फैमिली डॉक्टर था, मैंने उसको कॉल किया कि मैं उसको बता सकूं। तो उसने कोई फोन नहीं उठाया। मुझे अचानक ध्यान आया कि मैं संत रामपाल जी महाराज को फोन करूं। आशा में था कि वहां से मुझे कुछ लाभ मिले। मैंने फोन किया तो उसके बाद मालिक ने आदेश दिया कि परमात्मा दया करेंगे, और कहा कि चरना अमृत और प्रसाद उनको दे दीजिए और नाम जाप करते रहे अपना। मैंने फोन काटा ही था कि एकदम पिता जी बोले कि मुझे पेशाब करना है। धीरे-धीरे वह खड़े हुए और खड़े होकर पेशाब करने के लिए चले गए। और बाद में कहे कि मुझे छोड़ दो। वह बिल्कुल मुर्दा पड़े हुए थे पहले, मुर्दा स्थिति में। मतलब ऐसी हालत हो गई थी उनकी कि बिल्कुल मुर्दा। संत रामपाल जी महाराज भगवान की ऐसी दया हुई कि जब संत रामपाल जी महाराज ने ऐसे बोला कि परमात्मा दया करेंगे। तो मालिक की दया से वह 10 मिनट के अंदर वह अपने आप पैरों पर चलने लगे। और अगले दिन सुबह हम सीधा बरवाला आश्रम पहुंचे। बरवाला आश्रम पहुंचने के बाद संत रामपाल जी महाराज दर्शन के लिए आते हैं तो संत रामपाल जी महाराज जी से हमने कहा बंदी छोड़ आपने रात को बड़ी दया करी हमारे ऊपर तो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी बोले कि बेटा भक्ति कर कुछ नहीं होगा तुझे, तुझे मालिक ने जीवन दिया है। मालिक की दया हुई है हमारे ऊपर बहुत। और पूरा परिवार आज मालिक के चरण में है। पिछले 2017 के आसपास लगभग मेरी मम्मी को इतनी प्रॉब्लम हो गई थी कि डॉक्टरों ने उनको जवाब दे दिया था कि यह नहीं बच पाएंगे। अब मैंने काफी दूर दूर तक उनको दिखाया। इलाज के लिए काफी दूर लेकर गए, कोई कहता कुछ होगा कोई कहता ब्लड चढेगा। सबने अपना अलग-अलग हिसाब बता रखा था। लेकिन बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की दया से आज वह बिल्कुल ठीक है। बिल्कुल ठीक स्थिति में बैठे हैं एकदम। और मालिक की भक्ति कर रहे हैं। यही हमारे ऊपर सबसे बड़ी दया मालिक की यही है कि बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने अपनी शरण में ले रखा है हमें। यह सबसे बड़ा लाभ हमको यही हुआ।
एंकर- सर संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के बाद आपको बहुत सारे लाभ प्राप्त हुए। तो जो श्रद्धालु आज आपको देख रहे हैं खास करके राधा स्वामी वाले उनके लिए आप क्या कहना चाहेंगे
true worship |
वक्ता- सर उनके लिए हम यही कहना चाहेंगे। आप जा रहे हैं सत्संग में, आप सत्संग के बारे में वहां बिल्कुल भी कुछ नहीं जानते। सत्संग क्या चीज है, वह अगर सुनना है तो संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनिए तो आपको पता चलेगा। आज तक हम सत्संग में जाते थे लेकिन हमको यह नहीं पता था कि सत्संग में किस लिए जाया जाता है। हमें परमात्मा को पाना है। परमात्मा के बारे में आज तक किसी ने नहीं बताया हमको। कहते कि ऊपर में है, कौन है,सब एक की महिमा गा रहे हैं। लेकिन आज तक कोई हमको बताने वाला नहीं मिला। संत रामपाल जी महाराज जी ने हमारे सभी प्रमाण शास्त्रों के साथ आपको बताया कि हमारा परमात्मा बंदी छोड़ कबीर साहिब जी हैं, कबीर परमात्मा।
एंकर- सर संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा कैसे ली जा सकती है।
वक्ता- बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के लिए साधना चैनल पर सत्संग शाम को 7:30 से 8:30 बजे तक आता हैं। उस पर नीचे पट्टी आती है उस पर नंबर आते हैं उन नंबरों पर आप कॉल कर कर, नजदीकी नाम दान का पता कर सकते हैं और वहां जाकर नाम दीक्षा ले सकते हैं।
एंकर- धन्यवाद सर
वक्ता- नमस्कार सर
https://youtu.be/Bf4pYYwKe5A
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सन्त रामपाल जी के ज्ञान को सुने उनके पवित्र संत्संग आप यूट्यूब पर सुन सकते है
संत रामपाल जी महाराज के सत्संग
संत रामपाल जी महाराज के सत्संग
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