सन्त कबीर जी, सन्त कबीर जी की जीवनी

कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर,ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर

यह दोहा अनायास ही सुनने को मिल जाता है यह दोहा है महान कवि और महान संत कबीर जी का उनके ऐसे अनेकों दोहे हैं जो जन जन की जुबान पर है क्योंकि उनके दोहे जाति धर्म संप्रदाय सभी से परे सबके लिए समान है कबीर साहेब 1 अद्भुत व्यक्तित्व के व्यक्ति थे आज हर किसी भी विषय पर कुछ कहा जाता है लिखा जाता है तो उनका दौहा कहीं ना कहीं जरूर काम लिया जाता है उन्होंने दोहों के माध्यम से चौपाइयों के माध्यम अपना ज्ञान लोगों को दिया 
कबीर साहेब जी का जीवन परिचय
कबीर जी का जन्म एक कमल के फूल पर माना जाता है वह उस कमल के फूल पर अवतरित हुए थे एक दिव्य पुरुष थे मां की कोख से उन्होंने जन्म नहीं लिया था कमल के फूल से उनको एक दंपती उठा ले गए थे वह दंपति भी निसंतान थे उन्होंने उनका लालन-पालन किया और उनके मुह बोले माता-पिता कह लाए जब कबीर साहेब बड़े हुए तो पांच 7 साल की उम्र से उन्होंने अपना ज्ञान लोगों में रखना शुरू किया वह लोगों के छक्के छुड़ा दिया करते थे तत्कालीन धर्मगुरु रामानन्द जी को भी उन्होंने अपना ज्ञान दिया और कहा जाता है कि रामानंद जी ने उनका ज्ञान ग्रहण करके उनको अपना गुरु बना लिया था लेकिन लोगों को दिखाने के लिए और उम्र में बड़े होने के कारण उन्होंने स्वयं को गुरु दिखाया रखा था कबीर साहेब जी का ज्ञान अद्भुत था उन्होंने अपना ज्ञान कबीर सागर में और कबीर बीजक में लिखवाया हुआ है जो कि उन्होंने अपने शिष्य धर्मदास जी को बताया था और उनसे लिखवाया था हिंदू धर्म में भगवान माने जाने वाले विष्णु जी शिव जी और ब्रह्मा जी से ऊपर भी कोई भगवान है यह बताने वाले कबीर साहेब प्रथम शख्सियत थे उन्होंने प्रमाणों के साथ बताया कि ये तीनो भगवान सर्वोच्च परमेश्वर नहीं है वह कोई और है उन्होंने यह भी बताया कि जिस ब्रहमांड में हम रह रहे हैं यह किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा शासित है जो जीवात्मा को दुख देता है यह सीधे परमेश्वर द्वारा शासित नहीं है

कबीर साहेब का ज्ञान वर्तमान में
वर्तमान में कबीर साहेब का ज्ञान का प्रचार बहुत सारे लोग कर रहे हैं उन सभी में संत रामपाल जी महाराज जी को सर्वश्रेष्ठ प्राथमिकता दी गई है क्योंकि उन्होंने अपना ज्ञान सभी सभी ग्रंथों के आधार पर बताया है अन्य कबीरपंथी और अन्य धर्म गुरु ज्ञान तो बताते हैं पर उनका शास्त्रों से मेलजोल नहीं मिलता ना ही कबीर सागर में मिलता है लेकिन संत रामपाल जी महाराज ने जो बताया वह कबीर सागर से जो का त्यों मेल खाता है साथ ही अन्य वेद शास्त्र गीता प्राणों से भी समान मिलता है इसलिए उनके ज्ञान को सर्वाधिक मानता दी गई है संत रामपाल जी महाराज ने सभी पवित्र पुस्तकों में यह सिद्ध किया है कि वाकई में ब्रह्मा विष्णु महेश जी से सरोज परमेश्वर जिसके बारे में कबीर साहेब जी अपने कबीर सागर में लिखे गए थे वह और कोई नहीं बल्कि वह स्वयं कबीर साहिब ही है क्योंकि वेदो में लिखा है कि जो परमात्मा है वह माता के गर्भ से जन्म नहीं लेता वह शरीर सहित आता है और शरीर सहीत जाता है और वाकई में यह लीला स्वयं कबीर साहिब जी ने की थी बाकी अन्य कोई भी इस सृष्टि में आज तक ऐसा नहीं किया जो शरीर से ही आया हो शरीर सहित चला गया हो इसलिए कबीर साहेब को परमेश्वर माना जा सकता है लेकिन साथ ही कबीर साहेब परमेश्वर है इसका प्रमाण वेदो में भी मिलता है गीता जी में मिलता है बाइबल और कुरान में भी मिलता है इसलिए कबीर साहेब को पूर्ण परमात्मा पाया गया है क्योंकि उनका प्रमाण सभी ग्रंथों में है उनकी लीला सभी ग्रंथों के अनुसार है और उनका ज्ञान इस सृष्टि में सर्वश्रेष्ठ है
लेख आगे जारी है

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