दशहरा (Dussehra) 2020 : बुराई रूपी रावण पर अच्छाई रूपी राम की विजय विजयदशमी

दशहरा (Dussehra) 2020 : बुराई रूपी रावण पर अच्छाई रूपी राम की विजय विजयदशमी (Vijayadashami)

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विजयदशमी (Vijayadashami) अर्थात दशहरा (Dussehra) क्यों मनाया जाता हैं 


Dashahara 2020


दशहरा कब से मनाया जाता हैं इस बारे में अलग अलग धारणाएं समय समय पर दी जाती रही हैं लेकिन एक धारणा जो कि सदियों से मान्यता प्राप्त हैं ओर स्वीकार्य हैं वो हैं कि लंका के राजा रावण (Ravana King Of Lanka) ने अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र जी (Shree Ram Ayodhya) की पत्नी सीता जी (Sita Mata) का अपहरण कर लिया था तो श्री रामचंद्र जी ने हनुमान जी (Hanuman Ji) की मदद से एक विशाल वानर सेना लेकर समंदर पार करके लंका जाकर रावण (Ravana King) को मारा ओर सीता जी को आजाद कराया

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रावण (Ravana) जैसे बुरे आचरण वाले लोगो का सदा बुरा अंत होता हैं इस घटना की याद बनाया रखने के लिए हर साल दशहरा (Dussehra 2020) को रावण का पुतला दहन किया जाता हैं और मनुष्य को बुरे आचरण से दूर रहने को इस उदाहरण से समझाया जाता हैं

 

Dussehra 2020

कलयुग में दशहरा

लेकिन समय बीतने के साथ साथ ये काम अब एक परम्परा बन के रह गया हैं लोग जाते हैं पुतला फुकते है स्नैक्स ओर आइसक्रीम खाकर कचरा फैलाते हैं खतरनाक तरीके के आतिशबाजी वाले बम चलाकर पर्यावरण प्रदूषण करते हैं और आयोजन पूरे होते ही हाथ फटकार कर आ जाते हैं लेकिन बुराई को ख़तम करने के बारे में किसी के भी मन में कोई दृढ़ता नहीं आती हैं  आज रावण के हजारों रूप हो गए हैं ये हर मन में बैठा हैं जिसमें चोरी करने की आदत हैं वो रावण हैं जिसमें कपट करने की आदत हैं वो रावण भी हैं बलात्कारी व्यक्ति रावण हैं अपनी पत्नी से अलावा अन्य से मिलन को सोच भी रखने वाला व्यक्ति रावण ही हैं भ्रष्ट व्यक्ति भी रावण हैं हत्यारा व्यक्ति भी रावण हैं हर व्यक्ति जो शारीरिक या मानसिक कोई भी पाप करता हैं या करने की सोचता हैं वो सब रावण ही हैं

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जो व्यक्ति हर तरह की शारीरिक हो या मानसिक कोई भी बुराई नहीं करता ना ही करने के विचार भी मन में नहीं लाता वो तो राम जैसा ही हैं उसमे राम ( पूर्ण परमेश्वर ) स्वयं बसते हैं जो व्यक्ति पाखंड पूजा त्याग कर वेदों गीता कुरान बाईबिल और अन्य सभी शास्त्रों के अनुसार प्रमाणित पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी (Kabir Ji) की भक्ति करते हैं उन में आदि राम (Eternal Rama) ( परमेश्वर कबीर ) स्वयं बसते है परमेश्वर की छत्रछाया उन पर सदा रहती है 


आज के दौर में पापो को छोड़कर पूर्ण परमेश्वर की भक्ति करना ही असली विजय है यही असली राम की असली रावण पर विजय है  



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